परम पूज्य गुरूजी के सानिध्य में क्रांतिकारी राष्ट्रियसंत इंद्रदेवजी राधारास बिहारी बहुउद्देश्यीय संस्था (KRIS) के तत्वाधान में चलायें जा रहे सेवा प्रकल्प :
1. गौसेवा - गौसेवा का अर्थ है गायों की देखभाल और सेवा करना। हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। गौसेवा में गायों को भोजन देना, उनकी चिकित्सा करना, उन्हें आश्रय देना और उनकी सुरक्षा करना शामिल है। यह एक पुण्य कार्य माना जाता है जो आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है।
2. वृद्ध सेवा - वृद्धजन सेवा का अर्थ है बुजुर्गों की देखभाल और सेवा करना। इसमें वृद्ध व्यक्तियों को भोजन, दवाई, आवास और भावनात्मक सहारा प्रदान करना शामिल है। भारतीय संस्कृति में बुजुर्गों का सम्मान करना और उनकी सेवा करना महत्वपूर्ण मूल्य है। यह न केवल एक नैतिक कर्तव्य है बल्कि समाज कल्याण का भी साधन है।चार्य का गहन अध्यन किया.
3. यज्ञ सेवा- यज्ञ सेवा का अर्थ है यज्ञ कार्यों में सहायता और सेवा करना। इसमें यज्ञ की तैयारी, हवन सामग्री की व्यवस्था, अग्नि प्रज्वलन में सहायता और यज्ञ स्थल की सफाई करना शामिल है। यज्ञ सेवा से वातावरण शुद्धीकरण और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है।
4. साधू संत – अल्पाहार, भोजन प्रसादी सेवा- साधू संतों की सेवा में उन्हें अल्पाहार, भोजन और प्रसाद अर्पित करना शामिल है। इसमें संतों को समय पर भोजन उपलब्ध कराना, उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करना और श्रद्धा भाव से सेवा करना है। यह आध्यात्मिक उन्नति और आशीर्वाद प्राप्ति का साधन माना जाता है।
5. नित्य अन्नक्षेत्र / भंडारा सेवा- परम पूज्य संत इंद्रदेवजी महाराज जी के पावन मार्गदर्शन में प्रतिदिन संचालित नित्य अन्नक्षेत्र सेवा के अंतर्गत, संस्था द्वारा सैकड़ों जरूरतमंदों, साधु-संतों, तीर्थयात्रियों और ब्रजवासियों को निःशुल्क, सुस्वादु व सात्त्विक भोजन कराया जाता है। यह सेवा वृंदावन, जलगांव एवं अन्य पवित्र स्थलों पर निरंतर चलती है, जहाँ प्रेम, आदर और श्रद्धा से भोजन परोसा जाता है। मूल मंत्र: “अन्नदान – महादान। हर भूखे में नारायण का दर्शन, हर थाली में सेवा का स्पर्श।”
6. वैदिक गुरूकुलम विद्यालय - “ज्ञान, संस्कार और संस्कृति का केंद्र” परम पूज्य संत इंद्रदेवजी महाराज के दिव्य मार्गदर्शन में स्थापित यह वैदिक गुरुकुलम विद्यालय आज की पीढ़ी को केवल अकादमिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि संस्कार, धर्म, राष्ट्रप्रेम और आध्यात्मिक चेतना से जोड़ने का महान प्रयास है। या |
7. प्रभु सेवा – राधा माधव मंदिर, शिव मंदिर - परम पूज्य संत इंद्रदेवजी महाराज के पावन सान्निध्य में वृंदावनधाम स्थित राधा माधव मंदिर एवं शिव मंदिर में नित्य सेवा, पूजा, आरती एवं अन्न प्रसाद वितरण जैसे भक्तिमय आयोजन किए जाते हैं। यह सेवा न केवल ईश्वर की आराधना है, बल्कि भक्तों को आध्यात्मिक शांति, *संस्कार* एवं *भक्ति रस* से जोड़ने का सेतु भी है। यहाँ हर दिन प्रभु को *श्रद्धा और प्रेम से सजाया, आरती की जाती है* और जनमानस को भक्ति में रंगा जाता है। संस्था का उद्देश्य है – **"प्रभु सेवा के माध्यम से जनसेवा और आत्मशुद्धि का मार्ग प्रशस्त करना।"**
8. व्यसन मुक्ति सेवा- परम पूज्य संत इंद्रदेवजी महाराज के प्रेरणास्रोत से संचालित यह अभियान, समाज को नशे के अंधकार से निकालकर आत्मशक्ति और संयम के उजाले की ओर ले जाने का प्रयास है। सत्संग, परामर्श, ध्यान और आध्यात्मिक चिकित्सा के माध्यम से युवाओं एवं व्यसनों में फंसे लोगों को नया जीवन–दृष्टिकोण प्रदान किया जाता है। लक्ष्य: “व्यसन से मुक्ति, जीवन में भक्ति।”
9. श्रीराधा किशोरी प्रसादम थाली सेवा- इस सेवा के अंतर्गत जरुरत मंद भक्त एवं संत जो चल कर आश्रम तक नही आ सकते उनके तक पौष्टिक, सुस्वादु एवं सात्त्विक भोजन उपलब्ध कराया जाता है। यह प्रसादम थाली ना केवल भूख मिटाती है, बल्कि सम्मानपूर्वक भोजन का अधिकार सभी को दिलाने का एक दिव्य प्रयास है। भावना: “भोजन में भगवान का प्रसाद, सेवा में करुणा का संवाद।”
10. कंबल वितरण सेवा- वृन्दावन में कड़ाके की ठंड में ज़रूरतमंदों के लिए संस्था द्वारा निःशुल्क कंबल वितरण किया जाता है| यह सेवा न केवल तन की सुरक्षा है, बल्कि मानवता की गर्माहट को भी जन-जन तक पहुँचाने का माध्यम है। संदेश: “जहाँ सर्दी डराए, वहाँ सेवा ढँकाए।”
11. औषधि वितरण सेवा - गरीब और वंचित वर्ग को निःशुल्क जीवन रक्षक दवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं। आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और एलोपैथिक दवाओं के माध्यम से सामान्य बीमारियों के उपचार की सुविधा सरल रूप से प्रदान की जाती है। मूल भावना: “सेवा वह औषधि है, जो शरीर और आत्मा दोनों को आरोग्य देती है।”
12. वस्त्र वितरण सेवा- संस्था द्वारा निर्धन, असहाय एवं जरूरतमंद लोगों को स्वच्छ व गरिमापूर्ण वस्त्र निःशुल्क प्रदान किए जाते हैं। यह सेवा केवल तन ढकने तक सीमित नहीं, बल्कि मानव सम्मान को पुनर्स्थापित करने का प्रयास है। संदेश: “वस्त्र केवल शरीर की आवश्यकता नहीं, आत्मसम्मान की पहचान भी हैं।”
13. जूते-मोज़े (शूज़ & सॉक्स) वितरण सेवा- पैदल चलने वाले श्रमिकों, बच्चों व वंचित जनों को जूते और मोज़े उपलब्ध कराए जाते हैं ताकि वे गरमी, ठंड व चोट से सुरक्षित रहें। यह सेवा उनके जीवन को सहज, सुरक्षित और आत्मसम्मान से युक्त बनाती है। भावना: “हर कदम में गरिमा हो – यही सेवा का उद्देश्य हो।”
14. बंदर सेवा (वृंदावन विशेष)- ब्रजधाम में निवास करने वाले बंदरों को फल, चना, मूँगफली आदि प्रेमपूर्वक खिलाकर संस्था जीवमात्र में भगवान के दर्शन करती है। यह सेवा जीवदया की परंपरा को जीवंत बनाए रखती है। संदेश: “जो ब्रज के वासी हैं, वे राधा माधव के प्यारे हैं – उनकी सेवा, प्रभु सेवा है।”
15. वृक्षारोपण सेवा - संस्था द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु वृक्षारोपण अभियान चलाए जाते हैं – मंदिर परिसर, गौशाला, आश्रम एवं जन स्थलों पर। यह सेवा भावी पीढ़ियों के लिए हरियाली, जीवन और संतुलन का उपहार है। प्रेरणा: “एक वृक्ष – सौ पीढ़ियों का कल्याण।”
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